काश !

Author:   हर्षिता राय
Publisher:   Bookleaf Publishing
ISBN:  

9789360945602


Pages:   72
Publication Date:   26 July 2024
Format:   Paperback
Availability:   In Print   Availability explained
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Overview

हम अपने जीवनकाल में अपने आप को रोज एक नए द्वन्द के बीच पाते हैं। ऐसे समय में कभी अपनों की बातें, कभी पुरानी यादें, कभी दुनिया में चल रही रीत, एक झलक में हमारी आँखों के सामने आ जाते हैं। यही विचार हमारी निराशा और आशा दोनों के आधार हैं। ज़िंदगी में कुछ भावनाओं को हम व्यक्त नहीं कर पाते, उन भावनाओं को सहजता से कविताओं के माध्यम से इस संग्रह में प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। यह कवयित्री का प्रथम काव्य संग्रह है। इसके माध्यम से उन्होंने अपने विचारों को एक दिशा प्रदान की है। उनके कविताओं में जीवन के अनेक पड़ावों पर चल रहे अंतर्मन के संघर्षों को चाहे वह खुद को लेके हो या परिवार, समाज या देश को लेके उन्हें उजागर करने का प्रयास किया है। यह पुस्तक हर उस इंसान के दिल की बात है जो संघर्ष कर रहा और उसकी कल्पना में एक काश है जो उसकी आशा है, एक काश जो उसकी उम्मीद है और उसका सुकून है।

Full Product Details

Author:   हर्षिता राय
Publisher:   Bookleaf Publishing
Imprint:   Bookleaf Publishing
Dimensions:   Width: 12.70cm , Height: 0.40cm , Length: 20.30cm
Weight:   0.082kg
ISBN:  

9789360945602


ISBN 10:   9360945609
Pages:   72
Publication Date:   26 July 2024
Audience:   General/trade ,  General
Format:   Paperback
Publisher's Status:   Active
Availability:   In Print   Availability explained
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Author Information

वाराणसी में जन्मी हर्षिता राय का बचपन और स्कूली शिक्षा आजमगढ़ से हुई। बचपन से ही साहित्य में रूचि रही। उन्होंने अपनी पहली कविता कक्षा 7 में लिखी थी। उसके तत्पश्चात अन्य मंचों से कविता पाठन एवं निजी शौक के लिए कविताएँ लिखने का सिलसिला चलता रहा। स्कूल के बाद उन्होंने बैचेलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी की डिग्री मनिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर से पूरी की और मास्टर्स ऑफ़ इंजीनियरिंग जापान से किया। अपने तकनिकी अध्ययन के साथ-साथ उन्होंने हिंदी कविताओं को पढ़ने और लिखने की रूचि को कायम रखा। अपने जीवन के अनुभवों, आस पास चल रहे हालात, इस दुनिया में रहने वाले लोगों की कल्पनाएँ, कभी पुरानी याद, तो कभी भविष्य को लेकर एक प्यारी सी उम्मीद इन सब को सहज भाषा में समेटना मुख्य रूप से इनकी काव्य रचनाओं का आधार रहा है।

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